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पड़ोसन भाभी की चुदाई

    Sex Story

    इंडियन भाभी की बुर चुदाई का मजा मुझे मेरी पड़ोसन ने दिया. अपने पति से उसका झगड़ा रहता था तो उसे लंड की जरूरत थी, मुझे एक चूत की जरूरत थी.

    दोस्तो, मैं विहान ठाकुर. मैं एक सामान्य लड़का हूँ, उम्र 24 साल की है.
    मेरी बॉडी भी अच्छी है और लंड का साइज़ भी मस्त है, ये साढ़े छह इंच का है.

    यह इंडियन भाभी की बुर चुदाई कहानी 11 दिसम्बर की है जब शादियों का सीज़न चल रहा था.
    सब लोग शादियां अटेंड कर रहे थे और इसी शादियों के बीच मुझे सुहागरात मनाने का मौका मिला.

    मेरे पड़ोस में एक भाभी रहती थीं, उनका नाम सुनयना था.
    वो लैगी कुर्ती पहनती थीं.
    उनकी फिगर का सही से पता नहीं था लेकिन बूब्स हरे भरे थे.
    मेरी, कमर और गांड में ज़्यादा घुसने की आदत नहीं है.

    पड़ोस की सब औरतें एक दूसरे से मिलती हैं और बात करती रहती हैं.

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    वो भाभी भी मेरी मम्मी से ‘नमस्ते आंटी.’ करती रहती थीं. कभी कभी साथ में भी बैठती थीं.
    उन दोनों में बातें होती थीं, मतलब सब सामान्य था.

    लेकिन जिसका पति झगड़ालू होता है, उस औरत के लिए कुछ सामान्य नहीं होता है.

    भाभी का पति चुपचाप सा रहता था और उन दोनों में लड़ाई वगैरह होती रहती थी.
    साफ़ शब्दों में कहूँ तो उन दोनों के बीच ज़्यादा प्यार नहीं था.

    भाभी को शादी के 4 साल बाद लड़का हुआ था, इससे आप समझ सकते हो कि प्यार की क्या स्थिति रही होगी.

    उस दिन दोपहर को मम्मी ने मुझे एक बैग दिया और कहा- जाकर सुनयना को दे आओ और मेरी बात करा देना.

    मैं भाभी के घर में अन्दर गया, आवाज़ दी.

    भाभी की सास यानि ताई जी बाहर आईं और उन्होंने कहा- ऊपर दे आओ.
    क्योंकि वो सीढ़ियां नहीं चढ़ती थीं.

    मैं ऊपर गया.
    मुझे ट्रिमर चलने की आवाज़ आई.

    मैंने समझा भाभी के पति अन्दर हैं और वो ही ट्रिमर चला रहे होंगे.

    मैंने आवाज दी तो भाभी ने कहा- कौन?
    भाभी की आवाज … इसका मतलब ये हुआ कि कमरे में सिर्फ़ भाभी थीं.

    अब मेरे लंड में सुरसुरी सी हुई कि ट्रिमर चल रहा है और अकेली भाभी हैं, तो कहां के बाल ट्रिम किए जा रहे हैं?
    तभी भाभी ने बाहर आकर मुझे देखा तो उनसे राम राम हुई.

    मैंने उनको वो बैग दिया.
    उन्होंने पूछा, तो मैंने कहा- मम्मी ने दिया है.

    उन्होंने बिना कुछ सोचे मेरे सामने ही बैग उल्टा कर दिया.
    उसमें से एक ब्लैक ब्लाउज और ब्लैक नेट वाली ब्रा निकली.
    वो शर्मा सी गईं.

    तब तक मैंने मम्मी को कॉल कर दिया, वो भी रिसीव हो गया.
    उन्होंने बात की.

    सुनयना- हां आंटी. हां ठीक है … हां नंबर भी सही है. हां आंटी, ये तो बाहर गए हैं और दो दिन बाद आएंगे.

    मम्मी से भाभी की बात हो गई और फोन कट गया.
    मैंने फोन लिया और वापस आ गया.

    फिर मैंने कॉल रेकॉर्डिंग सुनी.
    मम्मी ने ब्रा का नम्बर बोला था 34-बी … और भाभी ने बोला था कि हां सही है.

    मतलब भाभी के चूचे 34-बी साइज़ के थे.
    और भाभी ने मम्मी से अपने पति के लिए कहा था कि वो दो दिन बाद आएंगे.

    उसके बाद मैं घर आ गया.

    मम्मी ने शादी में जाने का बताते हुए कहा- 8 बजे चलेंगे. साथ में ताई, भाभी भी चलेंगी.
    रात को मम्मी तैयार हो गईं और मैं भी.

    मैंने कार बाहर लगाई.
    पहले मम्मी बैठीं, तो मैंने कार थोड़ा आगे ताई के घर रोक दी.
    पहले ताई आईं और फिर सुनयना भाभी.

    ओ माय गॉड … मेरे तो देख कर ही होश उड़ गए.
    भाभी क्या माल लग रही थीं.

    आज उन्होंने काले रंग का स्लीवलैस ब्लाउज और लाल काले कॉम्बीनेशन वाली साड़ी पहनी थी.

    आप तो जानते ही हो कि शादी में बेकार लड़की भी अच्छी लगने लगती है.
    भाभी तो फिर भी अच्छी ख़ासी आइटम थीं.
    फिर उन्होंने तो गहरे गले के ब्लाउज को पहन कर क़यामत ढहा दी थी.

    मैंने अपने सर पर हाथ फेरा और अपने बाल सही से किए और भाभी को बैठने को बोला.
    उन्होंने अपना बेबी, मेरी मम्मी को पकड़ा दिया और अपने बाल ठीक करने को अपना हाथ ऊपर उठाया.

    मुझे उनके स्लीव लैस ब्लाउज में से उनके अंडरआर्म्स दिखे जो एकदम साफ़ थे और गोरे भी.

    मैं समझ गया कि आज भाभी ने अंडरआर्म्स को ट्रिमर से क्लीन किया है और शायद नीचे के भी साफ़ किए होंगे.
    शादी में औरतें जाती भी चिकनी होकर हैं.

    उन्होंने मुझे देखते हुए नोटिस कर लिया और बाल ठीक करके गाड़ी में बैठ गईं.

    उसके बाद हम लोग शादी में गए.

    मेरी नज़र भाभी पर बार बार जा रही थी.
    मैंने भाभी को ऊपर से नीचे तक ध्यान से देखा.
    उनकी पीठ पर एक तिल था जो ब्लाउज की खुली पीठ से दिख रहा था.

    आज मेरा पूरा खून लंड की तरफ बढ़ रहा था … ऊपर से मैंने कुछ दिन से मुठ नहीं मारी थी तो लंड में अलग ही तनाव हो रहा था.

    फिर शादी से हम लोग वापस जाने को हुए.

    मम्मी को और सुनयना को उधर की सब महिलाओं ने रोक लिया और ताई जी को मेरे साथ जाने को बोला.
    मैंने गाड़ी पार्किंग से निकाली, गेट पर आया तो देखा कि ताई जी गायब हैं.

    मैं अन्दर आया तो सबने बोला कि सुनयना को घर भेज देते हैं … उसका बच्चा रात को परेशान करेगा, वो अभी छोटा है.

    फिर उन्होंने ज़िद करके ताई को रोक लिया और भाभी को मेरे साथ भेज दिया.
    मम्मी ने कहा- हां विहान घर छोड़ देगा और भाभी का ध्यान भी रखेगा.

    मेरा मूड तो वैसे ही भाभी के अंडरआर्म्स देख कर बना हुआ था.
    मैं उनके अकेले जाने की बात सुनकर और ज्यादा खुश हो गया कि काश कुछ और दर्शन भी हो ज़ाएं.

    भाभी के बूब्स भी मस्त दिख रहे थे.
    अभी वो बेबी को दूध पिलाती थीं तो बड़े तो होंगे ही और दूध से भरे हुए भी.

    अंतत: मैं भाभी को लेकर निकला.
    आज पहली बार था, जब मैं और सुनयना भाभी अकेले गाड़ी में थे.
    हम दोनों बात कर सकते थे.

    कुछ देर बाद भाभी ने अपनी साड़ी को कुछ ऐसे तरीके से सैट किया, जिससे वो फ्री होकर बैठ सकें.
    क्योंकि गाड़ी में वो किसी की बहू नहीं थीं और ना ही उनकी सास साथ में थीं.

    भाभी ने सर से पल्लू हटाया और आह … मस्त जलवा सामने आ गया.

    फिर उन्होंने मुझसे कहा- एक बात पूछ सकती हूँ … तुम मुझसे इतने शांत रहकर बात क्यों करते हो … बाकी सबके सामने तो बड़े हंस बोल कर रहते हो?

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    मैंने कहा- अरे नहीं भाभी, ऐसा कुछ नहीं है.

    भाभी- इतने सीधे भी नहीं हो, जो शर्मा जाओ!
    मैंने भी ठंडी आह भरते हुए कहा- देर लगती है मुझे सुन्दर लोगों से सहज होने में हा हा!

    भाभी- अच्छा जी, ये तारीफ है मेरी … या मजाक उड़ा रहे हो?
    मैंने कहा- तारीफ है भाभी … आज आप सच में बड़ी सुंदर लग रही हो.

    अपनी तारीफ सुनकर हर लड़की खुश हो जाती है.
    वो भी हो गईं और खुल भी गईं.

    इतने में उनका लड़का रोने लगा.

    मैंने पूछा, तो उन्होंने बोला- कुछ नहीं.
    मैं समझ गया कि उसको भूख लगी है.

    मैंने कहा- दूध पिलाना हो भाभी तो मैं 5 मिनट के लिए गाड़ी से बाहर चला जाता हूँ.
    मैंने वैसे ही बोल दिया क्योंकि ऐसी बात वो किसी को बोलेंगी भी नहीं और ये एक तरह से मेरी तरफ से शुरुआत हो गई थी.

    भाभी- अरे नहीं, ऐसी कोई बात नहीं.
    फिर उन्होंने अपना ब्लाउज ढीला करना शुरू किया और पीछे से ब्रा का हुक खोला; फिर वो बेबी को दूध पिलाने लगीं और साड़ी से बेबी को ढक लिया.

    एक अंजान लड़के के सामने अपने ब्लाउज ब्रा खोलने से हर औरत के अन्दर सुरसुरी हो ज़ाएगी, ये मैं भी समझता था.
    फिर उस समय बेबी निप्पल भी चूसता है तो मजा आता ही होगा.
    भाभी अब थोड़ा सा खुल गई थीं.

    अचानक से उन्होंने कहा- आप अपने घर पर जाओगे?
    मैंने बोला- आपको और कहीं जाना है क्या?
    वो बोलीं- नहीं, मैंने ऐसे ही पूछा.

    मैं समझ गया कि भाभी के मन में कुछ तो है.
    लेकिन मैं ये भी समझता था कि कोई भी औरत इतनी आसानी से नहीं बोलती … इशारे देती है.

    मैंने कहा- आपके घर पर रुक जाऊं क्या?
    तो वो खुश होकर एकदम से बोल पड़ीं- हां प्लीज़ रुक सकते हो तो रुक जाओ. बाकी जैसी आपकी मर्ज़ी!

    मैं समझ गया कि कुछ हो सकता है.
    इतिहास गवाह है कि असंतुष्ट औरत ही अपनी चूत किसी और को देती है और ये भी वही थी.

    मैंने भी बोल दिया- ठीक है भाभी. लेकिन किसी को पता लगा, तो सही नहीं लगेगा कि घर पर कोई नहीं है और मैं आपके साथ …
    मैं चैक करना चाहता था कि इनके मन में क्या है.

    उन्होंने भी बोल दिया- सुबह जल्दी जगा दूँगी. किसी को पता नहीं चलेगा. आप आराम से रहना.

    ऐसा बोलते हुए उन्होंने फिर से अपने बाल ठीक किए और उनके गोरे चिट्टे अंडरआर्म्स के दर्शन पुन: हो गए.
    इस बार उन्होंने शायद जानबूझ कर किया था.

    मैं समझ गया कि आज रबड़ी मलाई खाने का मौका है और ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा.

    उन्होंने मुझे मेडीकल स्टोर पर गाड़ी रोकने को कहा.
    मैंने उनकी तरफ देखा तो उन्होंने बेबी की बोतल का निप्पल लेने के लिए कहा.

    ये भी एक इशारा ही था.
    मैं समझ गया.

    मेडिकल स्टोर से निप्पल के साथ एक कंडोम का पैकेट भी ले लिया और उसी पॉलीबैग में डाल कर भाभी को देने का सोच लिया.
    गाड़ी में मैंने उनको बैग दिया.

    उन्होंने चैक किया.
    निप्पल और शायद कंडोम का पैक भी दिख गया.
    लेकिन वो कुछ नहीं बोलीं, बस चुप बैठी रहीं.

    अब सब कुछ क्लियर था कि आज चुदाई होने वाली है.

    ये मेरा फर्स्ट टाइम था और वो भी किसी शादीशुदा औरत के साथ.
    हम दोनों घर पर पहुंचे.

    उन्होंने मुझे मेरा रूम दिखाया और मुझे चेंज करने को एक शॉर्ट दे दिया.
    मैं रूम में आया और चेंज किया.

    इतने में दरवाजा लगने की आवाज़ आई.
    मुझे लगा कि हो गया केएलपीडी … सब खत्म.
    वो दरवाजा लॉक करके सो गईं.

    कुछ देर बाद मेरे रूम पर नॉक हुआ.
    मैंने खोला तो सामने भाभी खड़ी थीं.

    उनके बाल खुले हुए थे वो क़यामत लग रही थीं.
    उसने हाथ खोला और कंडोम का पैकेट दिखा कर कहा- मेरे पास तुम्हारा कुछ सामान रह गया!

    मैं समझ गया कि ये बच्चे को रूम में सुला कर आई हैं और अपनी चूत मरवाने को राजी हैं.

    मैंने उनका हाथ पकड़ कर अन्दर खींचा और ज़ोर से किस करने लगा.
    वो भी साथ देने लगीं.

    ये मेरा पहला मौका था.
    मैं बस भाभी को चूमे जा रहा था, उनका मुँह, जीभ होंठ सब दबा दबा कर चूस रहा था.

    भाभी- प्लीज़ यार आराम से … बहुत भरोसा किया है तुम पर … कोई निशान मत बना देना वरना सब खत्म!
    मैंने कहा- चिंता मत करो, मैं ध्यान रखूंगा और किसी को पता नहीं चलने दूँगा.

    फिर मैंने भाभी को बेड पर लिटाया और साड़ी हटा कर बूब्स दबाने लगा.
    मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.
    मेरे सीने में एक आग सी लगी थी, दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी.

    मैं उनके मम्मों को दबा रहा था, उनकी गर्दन पर किस कर रहा था, होंठों को चूस रहा था.
    वो बस गर्म सांसें ले रही थीं.

    अचानक से उन्होंने पूछा- तुमको अंडरआर्म्स बहुत पसंद हैं न … तुम मेरे देख रहे थे?
    मैंने कहा- हां पहली बार है न … मैंने अभी कुछ देखा ही नहीं कभी.

    इस पर भाभी मुस्कुरा दीं और अपने दोनों हाथ ऊपर उठा दिए और बेडशीट का सिरहाना पकड़ लिया.

    मैं देखता ही रह गया. उनके अंडरआर्म्स पर ज़ीरो बाल थे. एकदम गोरे चिट्टे आर्म्पाइट्स थे उनके.

    मैंने भाभी की बगलों में बहुत किस किया.
    उनको भी गुदगुदी होने लगी.
    फिर मैंने भाभी की साड़ी निकाल कर फेंक दी और अगले ही उनका ब्लाउज व पेटीकोट भी.

    मैं खुद सिर्फ़ अंडरवियर में आ गया था.
    मेरे सामने एक 28 साल की औरत बेड पर ब्रा पैंटी में थी; वो भी अपने हाथ ऊपर करके.

    मैं भाभी की नाभि पर किस करने लगा.

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    मैंने अपनी जीभ को नाभि में डाल दी और चूसने लगा.
    वो बस ‘आह आह …’ करके सिसकारियां ले रही थीं.

    उनके चूचे ब्रा से बाहर निकाले … आह क्या निप्पल थे उनके … लाइट ब्राउन कलर के.
    मैं भूखे कुत्ते की तरह उनके मम्मों पर टूट पड़ा.

    आदमी चूत से ज्यादा मम्मों पर मरता है.

    मैंने उनके दोनों मम्मों को खूब चूसा, गर्दन पर भी बहुत किस किए, अंडरआर्म्स पर किस किए.
    फिर उन्होंने मेरी चड्डी उतार दी, मेरा लंड हाथ में ले लिया.

    मैंने भी जोश में उनकी पैंटी उतार कर फेंक दी.
    भाभी की चूत पर हल्के हल्के से बाल थे.

    पहली बार मैं किसी की चूत देख रहा था.
    वो भी सामने से … इतनी सुंदर होती है.

    भाभी की सांवली सी चूत रस से भीगी थी और उनकी झांट के बालों पर ओस की बूँदें सी चमक रही थीं.

    मैं चूत को किस करने लगा.
    भाभी पागल होती जा रही थीं.
    मेरा लंड फुल कड़क था और उनके हाथ में था.

    उन्होंने लंड को ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया और मेरी पिचकारी निकल गई.
    मैं ठंडा पड़ गया.

    भाभी नॉटी मुस्कान से मुस्कुरा रही थीं.
    भाभी- पहली बार है … बाहर निकालना ज़रूरी था ताकि देर तक कर मेहनत कर सको.

    मैं भाभी को गर्दन पर किस कर रहा था.
    लंड ठंडा हुआ था लेकिन मैं अभी भी गर्म था.

    थोड़ी देर में लंड फिर से खड़ा हुआ.
    इस बार मैंने लंड हाथ में लिया और चूत के होल में खुरसने लगा.

    उन्होंने रोका और कंडोम का पैकेट दिखाया.
    मैंने कंडोम का रैपर फाड़ा और कंडोम लंड पर जैसे तैसे लगाया.

    साला जिन्दगी में लौंडिया चोदना सीखने से ज्यादा जरूरी होता है कंडोम पहनना.
    हालांकि उस पर विधि लिखी रहती है लेकिन उस वक्त किस भोसड़ी वाले को पढ़ने का होश रहता है.

    अब मुझे अहसास हुआ कि जन्नत क्या होती है.
    एक हरी भरी औरत बिल्कुल नंगी मेरे नीचे थी जिसके दूध खुले थे, चूत पानी से चमक रही थी.

    मुझे मेरी किस्मत पर यकीन नहीं हुआ.
    भाभी से मेरी नज़रें मिली तो उन्होंने बूब्स छुपाने की कोशिश की.
    मैंने रोका.
    उन्होंने लाज से मुँह फेर लिया.

    मैंने भाभी की चूत पर लंड रखा, पर घुसाया नहीं गया.
    आख़िर मैं अनाड़ी ही तो था.

    उन्होंने अपने पैर और चौड़े कर लिए.
    फिर मैंने धीरे से घुसाया … टोपा अन्दर गया तो आत्मविश्वास जागा.
    मैंने जोश में आकर और अन्दर ठूंस दिया.

    उनकी सिसकारी निकल गई ‘आह मर गई.’
    ऑपरेशन से बेबी पैदा होने के कारण भाभी की चूत भी अच्छी टाइट थी.

    मैं समझ गया कि इंडियन भाभी की बुर को लंड नहीं मिलता है, तभी मेरे नीचे आई हैं.

    फिर मैंने झटके देने शुरू किए.
    उनके मुँह से हल्की आवाज में ‘उओ आह आह …’ की आवाज निकल रही थी.

    कुछ मिनट में ही लंड सटासट चलने लगा और हम दोनों के जिस्म अकड़ने लगे.
    मेरा पानी निकल गया.
    उनका अभी तक हुआ नहीं था.

    मैं भाभी के ऊपर ही लेट गया.

    शादीशुदा औरत का पानी निकलना आसान नहीं होता लेकिन जवान लंड जल्दी खड़ा भी हो जाता है.

    थोड़ी देर हम चिपके रहे, जिस्म की गर्मी ले रहे थे.
    इतने में लंड खड़ा होने लगा.

    उनके जिस्म से अच्छी खुश्बू आ रही थी.
    भाभी एकदम चिकनी माल थीं; मैं उनको दबाता रहा.

    फिर खड़ा हुआ तो फिर से कंडोम लगा कर अन्दर पेल दिया. लंड झटके देने से और हार्ड हो गया.

    थोड़ी में भाभी अकड़ने लगीं और चूत से फच्छ फच्छ की आवाज़ आने लगी.
    इंडियन भाभी बुर चुदाई के बाद शांत हो गईं और बिस्तर पर टांगें फैला कर ढीली पड़ गईं.

    मैं समझ गया कि इनका भी काम तमाम हो गया.
    फिर मेरा भी हो गया और हम दोनों ऐसे ही एक ही बिस्तर पर सारी रात एक दूसरे से चिपक कर नंगे सोते रहे.

    उस दिन मुझे अहसास हुआ कि सेक्स कितनी बड़ी चीज़ है और क्यों ज़रूरी है.

    भाभी के जिस्म की खुश्बू मुझे पागल कर रही थी.
    मैं उनको चूसते हुए कब सो गया … मुझे पता ही नहीं चला.

    सुबह उन्होंने मुझे 5 बजे जगाया.

    वो मेरे साथ कम्बल में बिल्कुल नंगी थीं जैसे रात में सोई थीं.
    सुबह लंड अलग जोश में होता है.
    मैंने फिर से उनको चोद डाला.

    इस बार हम दोनों को ज़्यादा मजा आया.
    मैंने उनके हाथ ऊपर किए, उनके शेव्ड अंडरआर्म्स देख कर मुझे और जोश आ गया.
    धकापेल चुदाई हुई और दोनों का पानी निकल गया.

    फिर मैंने तीनों कंडोम इकट्ठे किए और पन्नी में रख कर जेब में रख लिए.

     

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    मैं बाथरूम गया.
    फिर जब बाहर आया तो वो कपड़े पहन रही थीं.

    मुझे उनकी नंगी पीठ दिखी.
    अब वो मुझे अपना माल समझ आ रही थीं.

    मैंने उनको पकड़ा और किस करने लगा, उनकी पीठ पर चाटने लगा, गर्दन पर काटने लगा.

    फिर उन्होंने मुझे रोका क्योंकि कंडोम नहीं थे और टाइम भी नहीं था.

    अन्ततः मैंने भाभी को गर्दन पर, होंठों पर किस करके उनके माथे को चूमा और उस पर बहुत सारे किस किए.

    ये बात पता नहीं, उनको सबसे ज़्यादा अच्छी लगी … और यहीं से भाभी ने मेरे नीचे लेटना शुरू कर दिया था.

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